उनके लक्ष्यों, बलिदान और आदर्शों को नमन।
श्री मथुरा प्रसाद जी का जन्म ग्राम रवाईपुर में सन 1900 ई में एक संपन्न कृषक परिवार में हुआ था .इनके पिता का नाम श्री दुर्गा प्रसाद जी था , जो एक अत्यंत मिलनसार एवं समाज सेवी कृषक थे. श्री मथुरा प्रसाद जी की शिक्षा घाटमपुर के राजकीय मिडिल स्कूल में हुई थी, श्री मथुरा प्रसाद जी बचपन से ही देश की गुलामी के प्रति चिंतित रहते थे स्वतंत्रता आंदोलन की किस्से कहानी सुनने में उन्हें बहुत रुचि थी आयु के बढ़ने के साथ-साथ उनकी रुचि बढ़ती गई और स्वतंत्रता संबंधी गतिविधियों में भाग लेने लगे. उनकी गतिविधियों पर जिला प्रशासन की नजर रहती थी देश के बड़े-बड़े नेताओं से भी इनका पत्राचार चलता रहता था स्वतंत्रता प्राप्ति के संघर्ष में यह तीन बार जेल भी गए इस दौरान उनको कानपुर, बस्ती, शाहजहांपुर जेलो में रखा गया ! प्रथम बार ,(1932) में इनको तीन माह की सजा और सौ रुपए काजुर्माना किया गया था. दूसरी बार (1932) 6 माह की सजा एवं₹20 जुर्माना किया गया किंतु चार माह और 22 दिन बाद ही रिहा कर दिए गए . तीसरी बार ( 1941) 7 महीने एवं 21 दिन जेल में रहे प्रदेश के पूर्व राजस्व मंत्री रहे स्व श्री बेनी प्रसाद जी अवस्थी इनके साथ स्वतंत्रता सेनानी रहे!
ग्राम रेवाड़ी, जन्म 1909 ई., आज़ादी आंदोलन में सक्रिय भागीदारी; एक बार कारावास।
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