उमराव समाज सेवा समिति

उमराव समाज सेवा समिति

उमराव 'कुर्मी' (जिन्हें कुर्मी क्षत्रिय भी कहते हैं) की एक उपजाति है जो गंगा और यमुना नदी के बीच उत्तर प्रदेश के फतेहपुर (बिंदकी तहसील) और कानपुर नगर (घाटमपुर तहसील) जिलों के गंगा के मैदानी क्षेत्र में निवास करती है। ये शुरू में सनातनी हिंदू धर्म को मानने वाले हैं, कुछ लोगों का झुकाव आर्य समाज की ओर है, कुछ विद्वान भी हैं। पहले इस समुदाय को 'उमराहार' के नाम से जाना जाता था लेकिन 60 के दशक में 'उमराव' उपनाम चलन में आया। कुछ लोग वर्मा और सिंह उपनाम भी इस्तेमाल करते थे। हालाँकि, नई पीढ़ी 'पटेल' उपनाम का उपयोग करने में रुचि रखती है। उमराव कुर्मी मूल रूप से कृषक जाति थी लेकिन नई पीढ़ी कई अन्य क्षेत्रों में विकसित हो रही है। उमराव समाज की उत्पत्ति और इतिहास पर स्पष्ट ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन सामाजिक परंपराएं, वेशभूषा, रहन-सहन, और जनश्रुति से यह संकेत अवश्य मिलता है कि यह समाज वीरता, आत्मनिर्भरता और सम्मानपूर्वक जीवन जीने वाले लोगों का समूह रहा है, जिनकी जड़ें संभवतः मराठा या राजपूत सैन्य परंपरा से जुड़ी रही हों। मुगलो एवं मुस्लिम बादशाहों के दरबारों में दो तरह के सामंत होते थे जो अमीर उमरां कहलाते थे अमीर धनवान सेठों को कहा जाता था और उमरां सैनिक पृष्ठभूमि के लोगों को कहा जाता था हो सकता है यह उमराव शब्द उमरां का ही परिष्कृत रूप हो.

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उमराव समाज सेवा समिति के मूल उद्देश्य

उमराव समाज सेवा समिति एक बहुद्देशीय पंजीकृत स्वयंसेवी संस्था है, जिसके निम्नलिखित प्रमुख उद्देश्य हैं:

  • 1. समाज के सभी सदस्यों को जोड़ने के लिए एक मजबूत मंच तैयार करना।
  • 2. स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और सामाजिक मुद्दों पर सहयोग प्रदान करना।
  • 3. परंपराओं, रीति-रिवाजों और संस्कृति को सुरक्षित रखना।
  • 4. युवाओं को उच्च शिक्षा, तकनीकी कौशल, रोजगार और आत्मनिर्भरता की दिशा में मार्गदर्शन देना।
  • 5. नारी शिक्षा को बढ़ावा देना और बेटियों को आत्मनिर्भर बनाना।
  • 6. समाज में कुरीतियों और बुराइयों को दूर करने के लिए जागरूकता फैलाना।
  • 7. संयुक्त परिवार की महत्ता बताना और टूटे रिश्तों को जोड़ने का प्रयास करना।
  • 8. विवाह/संस्कार के लिए सहयोग एवं कार्य करना
  • 9. ग्रामीण अंचल के वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य, भजन-भोजन, और उनकी छोटी-मोटी समस्याओं के समाधान में सहायता करना।
  • 10. सामाजिक कल्याण के लिए सहयोग एवं कार्य करना
  • 11. पर्यावरण संरक्षण के लिए सहयोग एवं कार्य करना
  • 12. जल संग्रहण के लिए सहयोग एवं कार्य करना
  • 13. तकनीकी कृषि एवं औषधीय खेती के लिए सहयोग एवं कार्य करना

यदि हम एकता बनाए रखते हुए एक दूसरे का सहयोग करें, समाज के प्रति पूर्ण समर्पण बिना किसी व्यक्तिगत स्वार्थ के एक दूसरे से सामंजस्य रखते हुए, अनुशासित रहकर अपने-अपने स्थान पर अपने-अपने कार्यों को पूर्ण निष्ठा से भली प्रकार करें, तभी स्वयं के साथ-साथ समाज का भी विकास हो पाएगा और यदि यह प्रक्रिया अविरल बनी रहे तो समाज का सर्वांगीण विकास होते देर नहीं लगेगी।सर्वांगीण विकसित समाज की पहचान प्रदेश, देश और संपूर्ण जगत में स्वतः ही फैलती चली जाती है। यदि समाज उपरोक्त बिंदुओं पर केन्द्रित रहकर एकजुट मिलकर कार्य करे तो निम्नलिखित लक्ष्य सुनिश्चित है।हमारे बच्चे भी विकास की दिशा में उत्कृष्ट शिक्षा, संस्कार और जीवनमूल्य प्राप्त कर सकेंगे।वे चरित्रवान, देशभक्त, दक्ष और सफल नागरिक बन सकेंगे।


हमारे गॉव

हमारे महापुरुष

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कृतज्ञ

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राम किशोर वर्मा (मंत्री जी)

कुशल राजनेता एवं समाजसेवी

श्री राम किशोर वर्मा जी का जन्म सन 1923 ई. ग्राम असधना, जिला कानपुर के एक किसान परिवार में हुआ था। आपके पिता जी श्री नेत्रसुख एवं माता श्रीमती तुलसी देवी थीं। आपका विवाह भगौनापुर (बिंदकी), फतेहपुर, उ.प्र. में सन 1941 में श्रीमती स्थाना देवी के साथ सम्पन्न हुआ था।आपके एक पुत्र श्री राम गोपाल एवं एक पुत्री श्रीमती राम प्यारी हैं।श्रद्धेय मंत्री जी एक समाजसेवी, कुशल वक्ता, संघर्षशील राजनेता एवं कर्मठ पालक थे।आपने जीवन भर अपने समाज के उत्थान के लिए कार्य किया। फतेहपुर (बिंदकी) जिला पंचायत के सदस्य के रूप में आपने कई बार जनसेवा की। सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने के साथ-साथ आपने बुनियादी मुद्दों, राजनीति, शिक्षा आदि में मांग दर्शाई।आपका निधन सन 15 जुलाई 1987 को हुआ था। उमराव समाज आपका ऋणी रहेगा। !

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श्री मथुरा प्रसाद जी

स्वतंत्रता सेनानी

श्री मथुरा प्रसाद जी का जन्म ग्राम रवाईपुर में सन 1900 ई में एक संपन्न कृषक परिवार में हुआ था .इनके पिता का नाम श्री दुर्गा प्रसाद जी था , जो एक अत्यंत मिलनसार एवं समाज सेवी कृषक थे. श्री मथुरा प्रसाद जी की शिक्षा घाटमपुर के राजकीय मिडिल स्कूल में हुई थी, श्री मथुरा प्रसाद जी बचपन से ही देश की गुलामी के प्रति चिंतित रहते थे स्वतंत्रता आंदोलन की किस्से कहानी सुनने में उन्हें बहुत रुचि थी आयु के बढ़ने के साथ-साथ उनकी रुचि बढ़ती गई और स्वतंत्रता संबंधी गतिविधियों में भाग लेने लगे. उनकी गतिविधियों पर जिला प्रशासन की नजर रहती थी देश के बड़े-बड़े नेताओं से भी इनका पत्राचार चलता रहता था स्वतंत्रता प्राप्ति के संघर्ष में यह तीन बार जेल भी गए इस दौरान उनको कानपुर, बस्ती, शाहजहांपुर जेलो में रखा गया ! प्रथम बार ,(1932) में इनको तीन माह की सजा और सौ रुपए काजुर्माना किया गया था. दूसरी बार (1932) 6 माह की सजा एवं₹20 जुर्माना किया गया किंतु चार माह और 22 दिन बाद ही रिहा कर दिए गए . तीसरी बार ( 1941) 7 महीने एवं 21 दिन जेल में रहे प्रदेश के पूर्व राजस्व मंत्री रहे स्व श्री बेनी प्रसाद जी अवस्थी इनके साथ स्वतंत्रता सेनानी रहे!श्री मथुरा प्रसाद जी के बड़े पौत्र श्री अखिलेश जी कानपुर किदवई नगर वाई ब्लॉक में पेट्रोल पंप का व्यवसाय कर रहे हैं !

सम्पर्क

उमराव समाज सेवा समिति

आंचलिक कार्यालय
प्लाट - अराजी नंबर 125, हाई वे सिटी, कांशीराम कॉलोनी,
निकट भारत पेट्रोल पंप, मुख्य मार्ग, कानपुर (उत्तर प्रदेश)
पिन कोड 208021


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